फ्रांस की राजधानी पेरिस स्थित विश्व प्रसिद्ध लूव्र म्यूजियम (Louvre Museum) में पिछले महीने हुई 850 करोड़ रुपये की सनसनीखेज चोरी ने म्यूजियम की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाल ही में एक आंतरिक रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि म्यूजियम की डिजिटल सुरक्षा प्रणाली बेहद कमजोर थी, जिसने चोरों को महज 4 मिनट के भीतर आठ बेशकीमती गहने चुराने में मदद की। जांच में पता चला है कि म्यूजियम के वीडियो निगरानी सिस्टम (Video Surveillance System) का पासवर्ड मात्र 'लूव्र' (Louvre) रखा गया था, जिसे हैकर्स या पेशेवर चोरों के लिए क्रैक करना बेहद आसान था। इस कमजोरी ने न केवल बाहरी सुरक्षा, बल्कि डिजिटल सुरक्षा के मानकों की भी धज्जियां उड़ा दी हैं।
सुरक्षा खर्च में कमी और गलत दिशा में लगा कैमरा
इस मामले में म्यूजियम की अध्यक्ष और निदेशक लौरेंस डेस कोर्स ने फ्रांसीसी सांसद को पहले ही बताया था कि चोरी की मुख्य वजह सुरक्षा व्यवस्था पर कम खर्च करना है। उन्होंने यह भी बताया था कि म्यूजियम के बाहरी हिस्से में केवल एक कैमरा लगा था, जिसकी दिशा गलत होने के कारण वह चोरों की गतिविधियों को कैप्चर नहीं कर पाया। हालांकि, लौरेंस ने दावा किया था कि म्यूजियम के अंदर के कैमरे काम कर रहे थे। लेकिन अब 'लूव्र' जैसे कमजोर पासवर्ड के खुलासे के बाद, म्यूजियम के अंदरूनी डिजिटल सुरक्षा की अनदेखी पर और भी गंभीर प्रश्नचिह्न लग गए हैं।
ऑडिट रिपोर्ट ने पहले ही दी थी चेतावनी
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, म्यूजियम की सुरक्षा ऑडिट का काम एक दशक पहले से शुरू हो चुका था, और इस रिपोर्ट के कुछ अंश चोरी से कुछ दिन पहले मीडिया में लीक भी हो गए थे। ऑडिट रिपोर्ट में सुरक्षा की कई बड़ी खामियों की ओर इशारा किया गया था, रिपोर्ट में कहा गया था कि 2024 तक म्यूजियम के केवल 39 कमरों में ही कैमरे लगे थे, जो विश्व के सबसे बड़े कला संग्रहालय के लिए बेहद कम है। रिपोर्ट में पाया गया था कि म्यूजियम में पर्याप्त निगरानी नहीं की गई है, और इस काम को पूरा होने में कई साल लगेंगे, जिसके साल 2032 तक भी पूरा होने की उम्मीद कम है।
आर्टवर्क पर ज्यादा खर्च, सुरक्षा में कमी की वजह
रिपोर्ट के अनुसार, लूव्र म्यूजियम अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने और सुरक्षा प्रणाली को अपडेट न कर पाने का मुख्य कारण आर्टवर्क खरीदने पर ज्यादा खर्च करना है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि खरीदे गए आर्टवर्क का सिर्फ एक चौथाई हिस्सा ही पब्लिक के सामने प्रदर्शित किया जाता है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के बाद री-लॉन्च प्रोजेक्ट्स में inefficiencies और टिकट फ्रॉड भी सुरक्षा पर कम खर्च होने की अन्य वजहें थीं। 850 करोड़ रुपये की इस चोरी ने लूव्र म्यूजियम के प्रबंधन को कटघरे में खड़ा कर दिया है, क्योंकि यह उजागर हुआ है कि दुनिया की सबसे बेशकीमती कलाकृतियों में से कुछ एक सामान्य पासवर्ड और अपर्याप्त निगरानी के भरोसे छोड़ दी गई थीं।