ताइवान और चीन के बीच बढ़ते तनाव ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार सुबह जानकारी दी कि ताइवान के उत्तर में स्थित एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन ज़ोन (ADIZ) में चीनी सैन्य विमान और नौसैनिक जहाजों की घुसपैठ दर्ज की गई है। मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर बयान जारी कर इस घटना की पुष्टि की।
📍 PLA और PLAN की गतिविधियां
ताइवान रक्षा मंत्रालय के अनुसार, शुक्रवार सुबह 6 बजे (स्थानीय समयानुसार) 1 चीनी सैन्य विमान (PLA एयरक्राफ्ट) और 9 नौसैनिक जहाज (PLAN वॉरशिप्स) को ताइवान की सीमा के करीब डिटेक्ट किया गया। इनमें से एक विमान ने तो उत्तरी ADIZ (Air Defense Identification Zone) में प्रवेश भी कर लिया।
मंत्रालय ने कहा कि इस घुसपैठ को तुरंत नोटिस किया गया और सुरक्षा बलों को अलर्ट मोड पर रखा गया है। इस घुसपैठ के जवाब में ताइवान ने अपनी निगरानी प्रणाली को सक्रिय करते हुए चीनी गतिविधियों पर नजदीकी नजर रखना शुरू कर दिया है।
लगातार जारी है चीन की घुसपैठ
ताइवान ने बताया कि यह पहली बार नहीं है जब चीन ने घुसपैठ की कोशिश की हो। बीते तीन दिनों से लगातार चीनी विमान और जहाज ताइवान की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं। 9 जुलाई 2025 को भी ताइवान ने कहा था कि PLA के 31 विमानों की गतिविधियां उसकी सीमा के पास दर्ज की गईं, जिनमें से 24 विमानों ने ताइवान की हवाई सीमा में घुसपैठ की। ये विमान उत्तर, मध्य और दक्षिण-पश्चिमी ADIZ क्षेत्र तक पहुंचे थे।
ऐसा लगता है कि चीन ताइवान पर नियमित दबाव बनाने की नीति पर चल रहा है। यह सैन्य रणनीति चीन की ओर से लंबे समय से अपनाई जा रही है, जिसे वो ‘ग्रे ज़ोन वॉरफेयर’ कहते हैं—यानी बिना सीधे युद्ध छेड़े सामने वाले देश की सैन्य और मनोवैज्ञानिक स्थिति को प्रभावित करना।
ताइवान की जवाबी तैयारी
ताइवान सरकार और रक्षा मंत्रालय ने चीनी घुसपैठ को लेकर सख्त रवैया अपनाया है। अधिकारियों ने कहा है कि यदि कोई भी विदेशी सैन्य गतिविधि उनकी सीमा में प्रवेश करती है, तो उस पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। ताइवान ने अपनी मिसाइल रक्षा प्रणाली, निगरानी ड्रोन और रडार स्टेशनों को पहले से ज्यादा सक्रिय कर दिया है।
पिछले वर्ष भी चीन की आक्रामकता को देखते हुए ताइवान ने अपने पूर्वी और दक्षिणी तटों पर मिसाइल सिस्टम तैनात किए थे। साथ ही तटीय क्षेत्रों पर गश्त बढ़ा दी गई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन ने उस दौरान ताइवान के आसपास मॉक ड्रिल भी की थी जिसमें हवाई हमले और नेवी ऑपरेशन शामिल थे।
🧭 चीन की मंशा और ताइवान की रणनीति
चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और बार-बार कह चुका है कि अगर जरूरत पड़ी, तो बलपूर्वक भी ताइवान को "मेनलैंड" से जोड़ दिया जाएगा। हालांकि, ताइवान एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक शासन है और अमेरिका सहित कई पश्चिमी देश उसके समर्थन में खड़े हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि चीन यह सैन्य दबाव इसलिए बना रहा है ताकि ताइवान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग किया जा सके और उसके आत्म-निर्णय के अधिकार को दबाया जा सके। दूसरी ओर, ताइवान भी अपनी रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करने में जुटा है और अमेरिका से अत्याधुनिक हथियार खरीदने की प्रक्रिया को तेज कर चुका है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अमेरिका ने इस घटनाक्रम पर चिंता जाहिर की है। पेंटागन के अनुसार, ताइवान जलडमरूमध्य की स्थिति खतरनाक हो सकती है और इससे पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अस्थिरता फैल सकती है। अमेरिका ने चीन से संयम बरतने की अपील की है और यह दोहराया है कि ताइवान पर किसी भी प्रकार की जबरदस्ती को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
जापान, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन ने भी ताइवान के सुरक्षा अधिकारों का समर्थन करते हुए, चीन की कार्रवाइयों को उकसावे वाली और अस्थिर करने वाली बताया है।
निष्कर्ष
ताइवान और चीन के बीच बढ़ता सैन्य तनाव एक बार फिर इस क्षेत्र को संभावित संघर्ष क्षेत्र में बदल सकता है। ताइवान की सैन्य सतर्कता और अंतरराष्ट्रीय समर्थन एक हद तक चीन को रोक रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में यह टकराव और भी बढ़ सकता है।
ताइवान की सीमाओं में लगातार हो रही चीनी घुसपैठ को सिर्फ एक सैन्य अभ्यास कहना गलत होगा। यह रणनीतिक दबाव और शक्ति प्रदर्शन की नीति है, जिसके पीछे गहरी राजनीतिक मंशा छुपी है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और ताइवान इस घुसपैठ से कैसे निपटते हैं—कूटनीति से, या रक्षा तैयारियों के जरिए।