भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट का मैदान अब केवल रनों और विकेटों का खेल नहीं रह गया है, बल्कि यह कूटनीतिक तल्खी और कड़े विरोध का मंच बन चुका है। रविवार, 21 दिसंबर 2025 को दुबई में खेले गए अंडर-19 एशिया कप के फाइनल में जो कुछ भी हुआ, उसने एक बार फिर साबित कर दिया कि खेल के जरिए रिश्तों को सुधारने की कोशिशें अब पूरी तरह से ठंडी पड़ चुकी हैं।
अंडर-19 फाइनल: हार के बावजूद भारतीय टीम का कड़ा रुख
दुबई में खेले गए खिताबी मुकाबले में पाकिस्तान ने भारत के सामने 347 रनों का विशाल लक्ष्य रखा। भारतीय टीम यह मैच हार गई और पाकिस्तान चैंपियन बना। परंपरा के अनुसार, विजेता को ट्रॉफी और उप-विजेता (रनर-अप) को मेडल दिए जाने थे। इस कार्यक्रम के लिए एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) के अध्यक्ष और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के प्रमुख मोहसिन नकवी विशेष रूप से दुबई पहुँचे थे।
लेकिन जब मेडल देने की बारी आई, तो भारतीय खिलाड़ियों ने वह किया जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। भारतीय टीम ने उस मंच (स्टेज) पर जाने से साफ़ इनकार कर दिया जहाँ मोहसिन नकवी खड़े थे। टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने मंच के किनारे ही आईसीसी (ICC) के एक अन्य अधिकारी से अपने मेडल स्वीकार किए। भारतीय टीम का यह कदम नकवी के साथ मंच साझा न करने के उस अटूट रुख का हिस्सा था, जो सीनियर टीम ने कुछ महीनों पहले शुरू किया था।
आखिर क्यों निशाने पर हैं मोहसिन नकवी?
मोहसिन नकवी केवल एक क्रिकेट प्रशासक नहीं हैं, बल्कि वह पाकिस्तान सरकार में गृह मंत्री जैसा महत्वपूर्ण पद भी संभाल रहे हैं। भारतीय टीम और बीसीसीआई (BCCI) के विरोध के पीछे मुख्य कारण नकवी द्वारा दिए गए भड़काऊ बयान हैं। एशिया कप 2025 के दौरान और सीमा पर तनाव के समय नकवी ने भारत के खिलाफ बेहद तल्ख बयानबाजी की थी।
भारतीय खिलाड़ियों का मानना है कि जो व्यक्ति खेल के मंच का इस्तेमाल राजनीतिक प्रोपेगेंडा और नफरत फैलाने के लिए करता हो, उसके हाथों सम्मान स्वीकार करना खेल भावना के विरुद्ध है।
सीनियर एशिया कप का वो विवादित वाकया
तल्खी की यह शुरुआत सीनियर मेंस एशिया कप 2025 के फाइनल से हुई थी। भारत ने वह टूर्नामेंट जीता था, लेकिन जब ट्रॉफी लेने की बारी आई, तो रोहित शर्मा और उनकी टीम ने नकवी के हाथों ट्रॉफी लेने से मना कर दिया। उस समय नकवी ने जिद दिखाते हुए ट्रॉफी टीम को सौंपने के बजाय उसे खुद उठाकर अपने होटल ले जाने का फैसला किया था। रिपोर्टों के अनुसार, भारत को वह आधिकारिक ट्रॉफी अब तक नहीं मिली है।
खेल भावना पर बढ़ता दबाव
भारत और पाकिस्तान के बीच साल 2025 में खेले गए कुल 4 मुकाबलों (3 सीनियर और 1 अंडर-19) में खिलाड़ियों के बीच मैदान पर भी तीखी नोकझोंक देखी गई। अंडर-19 एशिया कप में भारतीय युवाओं का यह व्यवहार दिखाता है कि अब अगली पीढ़ी के खिलाड़ियों में भी वह दोस्ताना मिजाज खत्म हो रहा है जो कभी हार-जीत के बाद देखने को मिलता था।
निष्कर्ष: बीसीसीआई और भारत सरकार का रुख अब बिल्कुल स्पष्ट है—जब तक सीमा पार से आतंकवाद और भड़काऊ बयानबाजी बंद नहीं होती, तब तक मैदान पर प्रतिद्वंद्विता तो होगी, लेकिन मंच पर कोई मेल-मिलाप नहीं होगा। अंडर-19 खिलाड़ियों ने नकवी की अनदेखी कर दुनिया को बता दिया है कि राष्ट्रीय स्वाभिमान उनके लिए किसी भी मेडल या ट्रॉफी से ऊपर है।