उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण विधायकों की बैठक को लेकर शुरू हुआ विवाद लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष पंकज चौधरी की ओर से दी गई नसीहत के बाद अब विपक्ष ने इस मुद्दे को राजनीतिक हथियार बना लिया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस पूरे मामले को लेकर न सिर्फ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पर बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी तीखा हमला बोला है।
दरअसल, हाल ही में यूपी विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान कुछ ब्राह्मण विधायकों की एक कथित बैठक और भोज को लेकर मीडिया में खबरें सामने आई थीं। इन खबरों के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी ने पार्टी के जनप्रतिनिधियों को स्पष्ट शब्दों में आगाह किया था कि वे किसी भी प्रकार की नकारात्मक या वर्ग-विशेष आधारित राजनीति से दूरी बनाए रखें। उन्होंने कहा था कि भाजपा का संविधान और उसके आदर्श इस तरह की गतिविधियों की अनुमति नहीं देते।
पंकज चौधरी की इस नसीहत पर अब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है। अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के जरिए भाजपा नेतृत्व पर तंज कसते हुए लिखा, “अपनों की महफ़िल सजे तो जनाब मेहरबान और दूसरों को भेज रहे चेतावनी का फ़रमान।” इस टिप्पणी को सीधे तौर पर भाजपा के अंदरूनी बैठकों और नेतृत्व की कथित दोहरी नीति से जोड़कर देखा जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव ने अपने इस पोस्ट में इशारों-इशारों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी निशाना साधा है। सपा प्रमुख का दावा है कि पंकज चौधरी की ओर से दी गई नसीहत दरअसल मुख्यमंत्री के इशारे पर ही आई थी। अखिलेश ने यह संकेत देने की कोशिश की कि भाजपा नेतृत्व कुछ वर्गों की बैठकों को नजरअंदाज करता है, जबकि अन्य मामलों में सख्ती दिखाता है।
अखिलेश यादव के इस बयान के संदर्भ में एक और पुराने मामले की भी चर्चा हो रही है। माना जा रहा है कि उन्होंने यूपी विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान हुई ठाकुर विधायकों की कुटुंब बैठक पर भी परोक्ष टिप्पणी की है। उस बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के ठाकुर विधायक शामिल हुए थे, लेकिन उस समय भाजपा की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया या टिप्पणी सामने नहीं आई थी। इसी को लेकर अब विपक्ष सवाल उठा रहा है कि आखिर अलग-अलग समुदायों की बैठकों पर अलग रवैया क्यों अपनाया जाता है।
वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा था कि पार्टी किसी भी तरह की वर्ग या जाति आधारित राजनीति में विश्वास नहीं करती। उन्होंने जनप्रतिनिधियों को आगाह किया था कि वे मीडिया में प्रसारित खबरों के मद्देनजर अतिरिक्त सतर्कता बरतें। पंकज चौधरी ने कहा था कि भाजपा सिद्धांतों और आदर्शों पर आधारित राजनीतिक दल है और परिवार, समाज या वर्ग विशेष के नाम पर राजनीति करना उसके मूल विचारों के खिलाफ है।
उन्होंने यह भी बताया था कि विधानसभा सत्र के दौरान कथित तौर पर हुए विशेष भोज और बैठक को लेकर जनप्रतिनिधियों से बातचीत की गई है। पार्टी नेतृत्व ने सभी से स्पष्ट कहा है कि भविष्य में ऐसी किसी भी गतिविधि से बचा जाए, जिससे पार्टी की छवि या उसके संवैधानिक मूल्यों पर सवाल खड़े हों।
कुल मिलाकर, ब्राह्मण विधायकों की बैठक का मामला अब सिर्फ एक आंतरिक पार्टी मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातीय संतुलन, नेतृत्व की भूमिका और राजनीतिक संदेशों को लेकर एक बड़े सियासी विवाद का रूप ले चुका है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस मुद्दे को कैसे संभालती है और विपक्ष इसे किस तरह आगे भुनाता है।