कैप्टन हरमनप्रीत कौर के इस मास्टर स्ट्रोक ने पलटा मैच, छुपे रुस्तम खिलाड़ी ने रच दिया इतिहास

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Posted On:Monday, November 3, 2025

2025 महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत की ऐतिहासिक जीत में कप्तान हरमनप्रीत कौर का एक साहसिक और अप्रत्याशित फैसला गेम चेंजर साबित हुआ। 52 रनों से मिली इस जीत का टर्निंग पॉइंट तब आया जब साउथ अफ्रीका की लौरा वोल्वार्ट भारतीय गेंदबाजों के लिए 'सिरदर्द' बन चुकी थीं और मैच उनकी पकड़ में आता दिख रहा था। भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भले ही 300 का आंकड़ा नहीं छुआ, लेकिन शेफाली वर्मा की धमाकेदार 87 रनों की पारी की बदौलत स्कोरबोर्ड पर 298 रन टांग दिए थे।

वोल्वार्ट का तूफान और कप्तान का 'जुगाड़'

लक्ष्य का पीछा करते हुए साउथ अफ्रीका ने अच्छी शुरुआत की थी। 19 ओवर तक स्कोरबोर्ड पर 109 रन लग चुके थे और सलामी बल्लेबाज लौरा वोल्वार्ट 60 रन बनाकर क्रीज पर जम चुकी थीं। शुरुआती दो विकेट गिरने के बाद अफ्रीकी टीम आत्मविश्वास से भर गई थी और भारतीय गेंदबाजों को सफलता नहीं मिल रही थी। ठीक इसी नाजुक मोड़ पर, हरमनप्रीत कौर ने एक ऐसा 'मास्टरस्ट्रोक' चला, जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। उन्होंने चौंकाने वाला फैसला लेते हुए, टीम की गैर-रेगुलर गेंदबाज शेफाली वर्मा को गेंद थमा दी। यह एक बड़ा जुआ था, क्योंकि इतने हाई-प्रेशर फाइनल मुकाबले में एक पार्ट-टाइम गेंदबाज पर दांव लगाना जोखिम भरा था।

शेफाली ने 12 गेंदों में बदल दिया मैच का पासा

हरमनप्रीत का यह जोखिम भरा फैसला तुरंत रंग लाया। शेफाली वर्मा ने अपने पहले ही ओवर में, अफ्रीकी पारी की महत्वपूर्ण बल्लेबाज सुने लुस को पवेलियन की राह दिखा दी! इस सफलता से विकेट को तरस रही पूरी भारतीय टीम में नई ऊर्जा का संचार हुआ और माहौल बदल गया। अगले ही ओवर में, शेफाली ने एक और बल्लेबाज को आउट कर दिया, जिससे मैच का पासा पूरी तरह पलट गया। लगातार दो गेंदों पर दो अहम विकेट गंवाने के बाद, साउथ अफ्रीका की मजबूत दिख रही पारी पूरी तरह से लड़खड़ा गई। 29 ओवर पूरे होते-होते, साउथ अफ्रीका का स्कोर 4 विकेट खोकर सिर्फ 146 रन पर पहुंच पाया। शेफाली के उन दो ओवरों ने रनों की गति पर ब्रेक लगा दिया और दबाव पूरी तरह अफ्रीकी बल्लेबाजों पर आ गया, जिससे वे अंततः 52 रन से पीछे रह गईं।

दबाव में चमकीं शेफाली की बैटिंग

गेंदबाजी में कमाल दिखाने से पहले, शेफाली वर्मा ने बल्ले से भी अपना दम दिखाया था। चोटिल प्रतिका रावल की जगह टीम में शामिल हुईं शेफाली पर चयनकर्ताओं के फैसले को सही साबित करने का दबाव था। उन्होंने 78 गेंदों में 111.54 की स्ट्राइक रेट से तूफानी 87 रनों की शानदार पारी खेली, जिसमें 7 चौके और 2 गगनचुंबी छक्के शामिल थे। स्मृति मंधाना के साथ उनकी 104 रन की ओपनिंग पार्टनरशिप ने ही भारत के विशाल स्कोर की नींव रखी थी। फाइनल में अपनी बैटिंग और अप्रत्याशित गेंदबाजी से शेफाली ने उन सभी आलोचकों का मुंह बंद कर दिया, जिन्होंने सेमीफाइनल में उनके न चलने पर सवाल उठाए थे।


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