मुंबई, 25 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन) मोटापे से निपटने के लिए भारत में एक बड़ा बदलाव आने वाला है, क्योंकि नोवो नॉर्डिस्क (Novo Nordisk) की सेमाग्लूटाइड (semaglutide) दवा (Wegovy और Ozempic) के जेनेरिक संस्करण मार्च 2026 में पेटेंट समाप्त होने के बाद उपलब्ध होने की उम्मीद है। ये जेनेरिक दवाएँ 70-90% सस्ती हो सकती हैं, जिससे वे मध्यम वर्ग के लिए अधिक सुलभ हो जाएँगी।
ये GLP-1 दवाएँ वजन घटाने और मधुमेह जैसी संबंधित स्थितियों को नियंत्रित करने में प्रभावी साबित हुई हैं। हालांकि, विशेषज्ञों ने इनकी बढ़ती उपलब्धता से जुड़े जोखिमों और चुनौतियों के प्रति आगाह किया है। उनका कहना है कि इन दवाओं को केवल "जल्दी ठीक होने" का साधन नहीं माना जाना चाहिए और इनका उपयोग सख्त चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत ही होना चाहिए।
बिना उचित नियमन के, इन दवाओं का दुरुपयोग ओवर-द-काउंटर स्लिमिंग हैक्स के रूप में हो सकता है, जिससे गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। लेख में भारत के स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे में कमी को भी उजागर किया गया है। देश का स्वास्थ्य सेवा प्रणाली मोटापे की देखभाल की बढ़ती मांग के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है, जिसके लिए विशेषज्ञों, आहार विशेषज्ञों और मनोवैज्ञानिक सहायता सहित एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।
निष्कर्ष यह है कि इन दवाओं में मोटापे और संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं से लड़ने में गेम-चेंजर बनने की क्षमता है, लेकिन उनका सकारात्मक प्रभाव पूरी तरह से जिम्मेदार उपयोग और एक व्यापक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में उनके एकीकरण पर निर्भर करता है।