एनआर नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति ने कर्नाटक की जाति जनगणना में भाग लेने से किया इनकार, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Thursday, October 16, 2025

मुंबई, 16 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी, राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने कर्नाटक में चल रही सामाजिक और शैक्षणिक सर्वे यानी जाति जनगणना में हिस्सा लेने से मना कर दिया है। कुछ दिन पहले सर्वे अधिकारी उनके घर पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने कहा कि वे अपने घर पर सर्वे नहीं करवाना चाहते।

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सुधा मूर्ति ने सर्वे फॉर्म भरने से इनकार करते हुए एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इस दस्तावेज में उन्होंने लिखा कि वे किसी भी पिछड़े समुदाय से नहीं हैं, इसलिए सरकार द्वारा उन समुदायों के लिए कराए जा रहे सर्वे में भाग नहीं लेंगी। कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सर्वे में शामिल होना पूरी तरह से वैकल्पिक है। अगर कोई व्यक्ति जानकारी नहीं देना चाहता, तो सरकार उसे इसके लिए बाध्य नहीं कर सकती। कर्नाटक में यह जाति जनगणना 22 सितंबर से शुरू हुई थी, जिसे कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (KSCBC) करवा रहा है। पहले इसे 7 अक्टूबर तक पूरा किया जाना था, लेकिन अब इसकी समय सीमा 18 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है। इस बीच, हाईकोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया था कि वह सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट करे कि सर्वे ऑप्शनल है और किसी को भी निजी जानकारी देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

यह जनगणना राज्य के लगभग 2 करोड़ घरों के करीब 7 करोड़ लोगों को कवर करेगी। इसकी अनुमानित लागत 420 करोड़ रुपए है और इसमें 60 सवाल पूछे जा रहे हैं। डेटा जुटाने का काम 1.75 लाख सरकारी कर्मचारियों को सौंपा गया है, जिनमें अधिकतर सरकारी स्कूलों के शिक्षक हैं। शिक्षकों की ड्यूटी सर्वे में लगने के कारण 18 अक्टूबर तक स्कूलों में छुट्टी घोषित की गई है। सरकार ने कहा है कि बच्चों की पढ़ाई की भरपाई एक्स्ट्रा क्लास के जरिए की जाएगी। जनगणना के दौरान हर घर को बिजली मीटर नंबर के जरिए जियो-टैग किया जाएगा और एक यूनिक हाउसहोल्ड आइडेंटिटी नंबर (UHID) दिया जाएगा। साथ ही, राशन कार्ड और आधार की जानकारी मोबाइल नंबर से जोड़ी जाएगी। सर्वे से जुड़ी किसी भी शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर 8050770004 जारी किया गया है। कर्नाटक सरकार ने इस साल जून में नए सर्वे को मंजूरी दी थी, जिससे 2015 में शुरू की गई प्रक्रिया रद्द हो गई। 2015 की जनगणना पर वोक्कालिगा और वीरशैव-लिंगायत जैसे प्रभावशाली समुदायों ने आपत्ति जताई थी और इसे अवैज्ञानिक बताया था। उनकी मांग पर ही यह नया सर्वे कराया जा रहा है, जिसकी रिपोर्ट दिसंबर तक आने की संभावना है।


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