अमेरिकी नौसेना के बेड़े में सोमवार को एक बड़ा सुरक्षा हादसा हुआ, जब दक्षिण चीन सागर में अलग-अलग ऑपरेशन के दौरान एक एमएच-60आर सी-हॉक हेलीकॉप्टर और एक एफ/ए-18एफ सुपर हॉरनेट फाइटर जेट दुर्घटनाग्रस्त हो गए। इन दो अलग-अलग घटनाओं में नौसेना के पाँच कर्मी घायल हुए हैं। अमेरिकी नौसेना के सूत्रों के अनुसार, दोनों विमानों में सवार कुल पाँच क्रू सदस्यों को तत्काल रेस्क्यू कर लिया गया है। मामूली चोटों के चलते उन्हें चिकित्सा के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है, और उनकी हालत अब स्थिर बताई जा रही है। नौसेना ने इन हादसों के कारणों की गहन जांच के आदेश जारी कर दिए हैं।
उड़ान भरते ही घटी दोनों घटनाएं
अमेरिकी पैसिफिक फ्लीट द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, पहला हादसा विमानवाहक पोत यूएसएस निमिट्ज से हुआ। भारतीय समयानुसार लगभग 2 बजकर 45 मिनट पर, यूएसएस निमिट्ज से बैटल कैट्स स्क्वाड्रन-73 का एमएच-60आर सी-हॉक हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी, लेकिन उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड के भीतर वह क्रैश होकर समुद्र में जा गिरा। हादसा होते ही कैरियर स्ट्राइक ग्रुप-11 की रेस्क्यू टीम तुरंत हरकत में आई और हेलीकॉप्टर में सवार तीनों क्रू सदस्यों को फौरन सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
इस घटना के लगभग 30 मिनट बाद, यानी दोपहर 3 बजकर 15 मिनट के करीब, फाइटिंग रेडकॉक्स स्क्वाड्रन-22 का एफ/ए-18एफ सुपर हॉरनेट फाइटर जेट एक नियमित ऑपरेशन के लिए उड़ान भरने के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जेट भी उड़ान भरते ही समुद्र में गिर गया। जेट में सवार दोनों पायलट तुरंत इजेक्ट (कूद) हो गए और उन्हें पैराशूट की मदद से सफलतापूर्वक रेस्क्यू कर लिया गया। हालांकि दोनों विमानों में सवार सभी पाँच क्रू सदस्यों को बचा लिया गया, लेकिन दोनों ही विमान—सी-हॉक हेलीकॉप्टर और सुपर हॉरनेट फाइटर जेट—इस दुर्घटना में पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं।
नौसेना ने दिए जांच के आदेश
अमेरिकी नौसेना ने इन दोहरी दुर्घटनाओं की पुष्टि करते हुए आधिकारिक बयान जारी किया है और रक्षा मंत्रालय को इसकी जानकारी दी गई है। नौसेना ने बताया कि घायल कर्मियों को तत्काल मेडिकल सहायता दी गई है। जांच अधिकारियों द्वारा क्रू सदस्यों से अंतिम पलों की जानकारी ली जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि विमानों के क्रैश होने का सटीक कारण क्या था। दुर्घटनाएं ऐसे समय में हुई हैं जब अमेरिकी नौसेना दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ा रही है।
सेफ्टी प्रोटोकॉल के तहत, नौसेना ने ऑपरेशन में उपयोग होने वाले अन्य विमानों की सुरक्षा और तकनीकी जांच के आदेश भी जारी कर दिए हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं को रोका जा सके। दुर्घटनाओं की विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है और इसके निष्कर्ष आने के बाद ही सटीक कारणों का खुलासा हो पाएगा।