मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच वैश्विक शांति के प्रयास एक तरफ हैं, वहीं दूसरी तरफ दुनिया में परमाणु हथियारों की संख्या एक चौंकाने वाली तस्वीर पेश कर रही है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) द्वारा जारी ईयरबुक 2025 के अनुसार, जनवरी 2025 तक दुनिया के नौ देशों के पास कुल 12,241 परमाणु हथियार हैं। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब हाल ही में ईरान और इजरायल के बीच सीधी बमबारी ने दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया था। भले ही अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों को 'तबाह' करने के दावों को खारिज कर दिया हो, लेकिन वैश्विक शक्तियों के पास मौजूद विनाशकारी हथियारों का भंडार अप्रसार प्रयासों की सफलता पर गंभीर सवाल उठाता है।
 तैनात हथियारों की संख्या में वृद्धि, भारत भी क्लब में शामिल
SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार, परमाणु हथियारों की कुल संख्या में मामूली गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट मुख्य रूप से अमेरिका और रूस द्वारा पुराने और रिटायर हो चुके हथियारों को नष्ट करने के कारण हुई है। हालांकि, रिपोर्ट में सबसे चिंताजनक तथ्य यह है कि तैनात (Operational) परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ गई है, खासकर चीन जैसे देशों के कारण, जो तेजी से अपनी परमाणु क्षमता का विस्तार कर रहे हैं। नौ देशों के इस विशिष्ट क्लब में भारत भी शामिल है, जो अपनी सुरक्षा चुनौतियों के कारण परमाणु क्षमता बनाए रखता है।
	
		
			| देश | 
			जनवरी 2025 तक परमाणु हथियारों की अनुमानित संख्या | 
		
	
	
		
			| रूस | 
			5,459 | 
		
		
			| अमेरिका | 
			5,177 | 
		
		
			| चीन | 
			600 | 
		
		
			| फ्रांस | 
			290 | 
		
		
			| यूके | 
			225 | 
		
		
			| भारत | 
			180 | 
		
		
			| पाकिस्तान | 
			170 | 
		
		
			| इजरायल | 
			90 | 
		
		
			| उत्तर कोरिया | 
			50 | 
		
		
			| कुल योग | 
			12,241 | 
		
	
यह आंकड़ा बताता है कि दुनिया की सुरक्षा का एक बड़ा हिस्सा मुट्ठी भर देशों के हाथों में सिमटा हुआ है। रूस और अमेरिका संयुक्त रूप से वैश्विक परमाणु भंडार का 90% से अधिक हिस्सा रखते हैं।
2,100 हथियार 'हाई अलर्ट' पर
SIPRI ईयरबुक 2025 का सबसे डराने वाला खुलासा 'हाई अलर्ट' पर रखे गए हथियारों की संख्या है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 12,241 परमाणु हथियारों में से:
	- 
	
3,912 हथियार मिसाइलों और एयरक्राफ्ट जैसे वितरण प्रणालियों (Delivery Systems) पर तैनात किए गए हैं।
	 
	- 
	
इनमें से भी, लगभग 2,100 हथियारों को बैलिस्टिक मिसाइलों पर रखकर हाई अलर्ट पर रखा गया है। इसका अर्थ है कि ये हथियार अत्यंत कम समय के नोटिस पर लॉन्च किए जा सकते हैं।
	 
	- 
	
ये हाई अलर्ट वाले हथियार मुख्य रूप से अमेरिका और रूस के हैं।
	 
SIPRI के शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण और उन्हें तेजी से तैनात करने की यह प्रवृत्ति वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरनाक रूप से अस्थिर है।
परमाणु आधुनिकीकरण (Nuclear Modernization) कार्यक्रम
रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि सभी नौ परमाणु संपन्न देश इस समय न्यूक्लियर मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम्स 2024 चला रहे हैं। इन कार्यक्रमों के तहत पुराने हथियारों को नष्ट करने के बजाय उनकी जगह पर अधिक सटीक, शक्तिशाली और छुपाए जा सकने वाले नए हथियार बनाए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह आधुनिकीकरण की दौड़ ही वह मुख्य कारण है, जिसके चलते कुल संख्या कम होने के बावजूद, तैनात और इस्तेमाल योग्य हथियारों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
SIPRI के निदेशक ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि भले ही सालाना कुछ हथियार नष्ट हो रहे हैं, लेकिन जितने हथियार सालाना नष्ट हो रहे हैं, नए हथियार उनकी जगह ले लेते हैं, जिससे दुनिया परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में कोई खास प्रगति नहीं कर पा रही है। मध्य पूर्व में तनाव, यूक्रेन में संघर्ष और इंडो-पैसिफिक में चीन की बढ़ती आक्रामकता ने इन देशों को अपनी परमाणु क्षमताओं को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया है।
यह रिपोर्ट वैश्विक समुदाय के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है कि जब तक परमाणु अप्रसार और निरस्त्रीकरण पर गंभीर बातचीत शुरू नहीं होती, तब तक मानवता लगातार एक विनाशकारी खतरे के साये में रहेगी।