यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्धविराम को लेकर दुनियाभर की बड़ी ताकतें शांति स्थापित करने के प्रयास कर रही हैं, लेकिन इसी बीच यूक्रेन ने रूस को एक बड़ा झटका दिया है। रविवार को यूक्रेन ने बेहद सूक्ष्म और रणनीतिक तरीके से रूस के चार एयरबेस पर हमला बोला, जिसमें उसने रूस के कई स्ट्रैटेजिक बॉम्बर विमान तबाह कर दिए। यह हमला इतना बड़ा और प्रभावशाली था कि रूस और पुतिन प्रशासन को इससे भारी नुकसान उठाना पड़ा। यूक्रेन की इस कार्रवाई के पीछे करीब डेढ़ साल की गुप्त योजना और तैयारी छिपी हुई है।
रूस पर यूक्रेन का रणनीतिक हमला
यूक्रेन की सुरक्षा विशेषज्ञ मारिया अवदीवा ने इस हमले की विस्तार से जानकारी दी है। वे खुद को यूक्रेन की सुरक्षा से जुड़ी घटनाओं की जानकार बताती हैं और 2014 से ही रूस के पक्ष से फैलाए जाने वाले झूठे दावों का विरोध कर रही हैं। उन्होंने बताया कि यूक्रेन ने रूस के अंदर एफपीवी ड्रोन और लकड़ी के मोबाइल केबिन बड़े चुपचाप पहुंचाए। इन केबिनों को एयरबेस के पास छिपा दिया गया और छतों के नीचे ड्रोन छुपा दिए गए। जब उचित संकेत मिला, तो ट्रकों से दर्जनों ड्रोन एक साथ लॉन्च किए गए और सीधे रूस के स्ट्रैटेजिक बॉम्बर विमान पर हमला किया गया।
इस हमले में रूस के चार एयरबेस निशाने पर आए और 41 भारी बॉम्बर विमान तबाह हुए। मारिया के अनुसार, रूस के लिए इन विमानों को फिर से बनाना नामुमकिन या बहुत मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि यह नुकसान बहुत बड़ा और अभूतपूर्व है।
‘स्पाइडर वेब’ ऑपरेशन: डेढ़ साल की योजना
यूक्रेन की खुफिया एजेंसी एसबीयू (SBU) ने भी इस हमले की पुष्टि करते हुए कहा था कि रूस के स्ट्रैटेजिक बॉम्बर विमान बड़े पैमाने पर जल रहे हैं। उन्होंने इस हमले को एक विशेष ऑपरेशन बताया, जो व्यापक स्तर पर चलाया गया। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस ऑपरेशन को ‘स्पाइडर वेब’ नाम दिया गया था और इसकी योजना पर डेढ़ साल तक काम हुआ।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने इस ऑपरेशन की व्यक्तिगत रूप से मॉनिटरिंग की। उन्होंने शुरुआत में रूस में ड्रोन की तस्करी, मोबाइल केबिनों की आवाजाही और छतों के खुलने के सही समय को नियंत्रित किया। ड्रोन के जरिए किया गया यह हमला इतना प्रभावशाली था कि रूस को करीब 2 अरब डॉलर से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ।
युद्ध की नई रणनीति और इसके प्रभाव
यह हमला यूक्रेन की तरफ से युद्ध में एक नई रणनीति को दर्शाता है, जिसमें गुप्त हथियार और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर दुश्मन के कमजोर हिस्सों को निशाना बनाया गया। रूस के लिए यह सिर्फ एक आर्थिक नुकसान नहीं है, बल्कि इसका मनोवैज्ञानिक और सैन्य प्रभाव भी गहरा है। इन भारी बॉम्बर विमानों का नुकसान रूस की आक्रमक क्षमता को कमजोर करता है और यूक्रेन की रक्षा व्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है।
इस हमले के बाद रूस की सेना को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ेगा और इस बात की संभावना भी जताई जा रही है कि वे अपनी सुरक्षा बढ़ाने के लिए नई तकनीक और हथियारों को अपनाएंगे। वहीं, यूक्रेन के लिए यह हमला उनकी सेना के मनोबल को बढ़ाने वाला साबित होगा और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी उनकी स्थिति मजबूत करेगा।
भविष्य की चुनौतियां और संभावनाएं
हालांकि यूक्रेन और रूस के बीच बातचीत और युद्धविराम की उम्मीदें बनी हुई हैं, लेकिन इस तरह के हमले बताता है कि संघर्ष अभी समाप्त नहीं हुआ है। दोनों पक्ष अपनी-अपनी रणनीतियों के तहत कार्रवाई कर रहे हैं और इस युद्ध के समाधान के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है।
यह हमला यूक्रेन की तकनीकी और रणनीतिक दक्षता को भी दर्शाता है, जिससे अन्य देशों को भी सीख लेने की जरूरत है कि कैसे कम संसाधनों में भी बड़े नुकसान पहुंचाए जा सकते हैं। साथ ही, यह वैश्विक स्तर पर सैन्य रणनीतियों और सुरक्षा नीतियों को प्रभावित करेगा।
निष्कर्ष
यूक्रेन द्वारा रूस के चार एयरबेस पर किया गया यह हमला न केवल सैन्य बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। डेढ़ साल की सावधानीपूर्वक योजना और गुप्त तस्करी के बाद यूक्रेन ने इस हमले से रूस को भारी क्षति पहुंचाई है। यह घटना युद्ध के समीकरण बदलने वाली साबित हो सकती है। भविष्य में यूक्रेन और रूस के बीच की स्थिति और भी जटिल होती दिख सकती है, लेकिन इस हमले ने यूक्रेन की ताकत और उनके संघर्ष की गंभीरता को पूरी दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया है