तुर्की के इज़मीर में पाकिस्तान, अमेरिका, अज़रबैजान और तुर्की की सेनाओं ने एक साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास किया है। इस अभ्यास में अज़रबैजानी नौसेना, तुर्की सेना, अमेरिकी सुरक्षा इकाइयाँ और पाकिस्तानी वायु सेना के गश्ती विमान शामिल हुए। इस बहुराष्ट्रीय सैन्य गतिविधि ने वैश्विक मंच पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं कि इन चारों देशों, जिनमें तीन मुस्लिम राष्ट्र हैं, ने अमेरिका के साथ मिलकर यह अभ्यास क्यों किया और इसके पीछे का असली मकसद क्या है।
संयुक्त अभ्यास का मकसद: रूस-ईरान विरोधी खेमा
सूत्रों और विश्लेषणों के अनुसार, यह सैन्य अभ्यास वास्तव में रोकथाम या दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है। इसका मुख्य उद्देश्य कैस्पियन-ब्लैक सी क्षेत्र में ईरान और रूस-विरोधी ब्लॉक के खिलाफ दबाव बनाना और संतुलन स्थापित करना है। यह पूरी कवायद अमेरिका और ब्रिटेन के संरक्षण (सहयोग/समर्थन) में आयोजित की जा रही है।
एक टेलीग्राम अकाउंट 'Sepah Pasdaran' ने इस पर टिप्पणी करते हुए लिखा है कि ये देश लगातार समुद्री युद्धाभ्यास करके ईरान, रूस और चीन जैसे देशों के खिलाफ तैयारी कर रहे हैं। इस अभ्यास का मकसद ब्लैक और कैस्पियन सी में इन देशों को घेरना है। यदि इन देशों का दबदबा बढ़ता है, तो इसका असर भारत पर भी हो सकता है, क्योंकि कैस्पियन सागर से भारत का कारोबार लगभग $2.9 बिलियन का है।
ब्लैक सी (Black Sea) की भू-राजनीतिक अहमियत
ब्लैक सी (काला सागर) कई मायनों में भू-राजनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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सीमाएँ और नाटो: इसकी सीमा छह देशों—यूक्रेन, रोमानिया, बुल्गारिया, तुर्की, जॉर्जिया और रूस—से लगती है। इनमें से रोमानिया, बुल्गारिया और तुर्की नाटो (NATO) के सदस्य हैं। रूस ब्लैक सी पर नियंत्रण करके नाटो देशों पर आर्थिक और राजनीतिक दबदबा बनाए रखना चाहता है।
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एशिया और यूरोप का प्रवेश द्वार: यूरोप और एशिया के बीच स्थित होने के कारण, ब्लैक सी की भू-राजनीतिक अहमियत बहुत अधिक है। इसे 'गेटवे ऑफ एशिया और यूरोप' कहा जाता है। यह एक सैन्य और राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील इलाका है।
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व्यापारिक महत्व: ब्लैक सी से होकर तेल, गैस और अनाज का एक बड़ा व्यापार होता है। यहाँ से निकलने वाला बॉस्पोरस जलडमरूमध्य (Bosphorus Strait) दुनिया के सबसे अहम समुद्री रास्तों में से एक है। रूस, यूक्रेन, रोमानिया और बुल्गारिया में गेहूँ की बंपर पैदावार होती है, जिसका निर्यात इसी रास्ते से होता है। साथ ही, रूस की गैस और तेल की पाइपलाइनें भी ब्लैक सी के आसपास से गुजरती हैं, जो यूरोप की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अहम हैं।
यही कारण है कि इस क्षेत्र में बड़ी शक्तियों द्वारा लगातार संयुक्त सैन्य अभ्यास किए जाते हैं, जिससे यह क्षेत्र हमेशा एक हाई-टेंशन ज़ोन बना रहता है।
ईरान का बदलता रुझान
ईरान का भी ब्लैक सी और कैस्पियन सागर की तरफ रुझान बढ़ा है। ईरान ने हाल ही में यह कहकर अपनी नई भू-राजनीतिक प्राथमिकता को दर्शाया है कि उसके लिए कैस्पियन सागर अब उतना ही अहम है जितना पहले फ़ारसी खाड़ी (Persian Gulf) था। इसका मतलब है कि अब ईरान अपने बाहरी सीमाओं और ऊर्जा-परिवहन नेटवर्क में पूर्वोत्तर दिशा (कैस्पियन से काले सागर की ओर) को प्राथमिकता दे रहा है।