पाकिस्तान के निर्वासित नेता और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) के संस्थापक अल्ताफ हुसैन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक भावुक अपील की है। उन्होंने पीएम मोदी से अनुरोध किया है कि वे बंटवारे के बाद पाकिस्तान में बसे उर्दू बोलने वाले मुहाजिर समुदाय के साथ हो रहे उत्पीड़न को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाएं। लंदन में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए, अल्ताफ हुसैन ने कहा कि पाकिस्तान की सरकार और सैन्य प्रतिष्ठान लंबे समय से मुहाजिरों को दोयम दर्जे का नागरिक मानकर उनके साथ भेदभाव कर रहे हैं।
पीएम मोदी की बलोच नीति की तारीफ
अल्ताफ हुसैन ने पीएम मोदी की विदेश नीति की तारीफ करते हुए कहा कि जिस तरह उन्होंने बलोच लोगों के अधिकारों के समर्थन में आवाज उठाई है, वह न केवल साहसी बल्कि नैतिक दृष्टिकोण से भी सराहनीय है। उन्होंने कहा, “अगर बलोच लोगों की आवाज भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठा सकता है, तो मुहाजिर समुदाय के लिए भी वही समर्थन आवश्यक है। हम भारत से भावनात्मक रूप से जुड़े हैं और अपने अधिकारों के लिए भारत का नैतिक समर्थन चाहते हैं।”
क्या हैं मुहाजिर?
मुहाजिर वे लोग हैं जो 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद भारत से पाकिस्तान जाकर बसे थे। इनमें से अधिकतर लोग उत्तर भारत से थे और उर्दू बोलते थे। इनका अधिकांश केंद्र कराची, हैदराबाद (सिंध), और रावलपिंडी जैसे शहरी क्षेत्रों में है। पाकिस्तान में इनकी राजनीतिक और सामाजिक पहचान अक्सर सवालों के घेरे में रही है। मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) इसी समुदाय की प्रमुख राजनीतिक आवाज रही है।
“स्टेट स्पॉन्सर्ड उत्पीड़न”: अल्ताफ का आरोप
अल्ताफ हुसैन ने पाकिस्तान की सेना और इंटेलिजेंस एजेंसियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले कुछ दशकों में 25,000 मुहाजिरों की हत्या की गई है और हजारों लोग गायब कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह सब एक स्टेट-स्पॉन्सर्ड प्रोग्राम का हिस्सा है, जिसमें मुहाजिरों को दबाने और डराने की रणनीति अपनाई गई है। अल्ताफ का कहना है कि पाकिस्तान की सेना ने कभी भी मुहाजिरों को देश का वैध नागरिक नहीं माना।
“भारत का एजेंट” बताकर किया जा रहा है बदनाम
अल्ताफ हुसैन ने कहा कि अमेरिका में पाकिस्तानी कॉन्सुल जनरल आफताब चौधरी ने एक कार्यक्रम के दौरान एक वीडियो दिखाया, जिसमें उन्हें और उनकी पार्टी को भारत का एजेंट बताया गया। उन्होंने कहा कि यह एक प्रोपेगेंडा है जिससे उनकी आवाज को दबाने और उनके समुदाय को और अधिक अलग-थलग करने की कोशिश की जा रही है। “मैं भारत से कोई समर्थन नहीं मांग रहा जो पाकिस्तान की संप्रभुता को चोट पहुंचाए, बल्कि मैं पीएम मोदी से नैतिक और कूटनीतिक समर्थन चाहता हूं ताकि हमारे मानवाधिकारों की रक्षा हो सके,” उन्होंने कहा।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी पर सवाल
अल्ताफ हुसैन ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों और मानवाधिकार संस्थाओं की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र, एमनेस्टी इंटरनेशनल, और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसी संस्थाओं को पाकिस्तान में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल बलोच, पख्तून, या सिंधी ही नहीं, बल्कि मुहाजिर भी पीड़ित और उत्पीड़ित समुदाय हैं।
भारत के लिए क्या है अगला कदम?
अल्ताफ की इस अपील ने भारत में एक नई बहस को जन्म दिया है। क्या भारत को मुहाजिरों के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाना चाहिए? क्या यह भारत की “नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी” और “वसुधैव कुटुंबकम” की भावना के तहत आता है? इन सवालों के जवाब आने वाले समय में भारत की विदेश नीति की दिशा तय कर सकते हैं।
निष्कर्ष
अल्ताफ हुसैन की यह अपील पाकिस्तान की राजनीति और मानवाधिकारों की जटिल स्थिति को उजागर करती है। एक निर्वासित नेता के तौर पर उनकी आवाज उन लाखों मुहाजिरों की पीड़ा का प्रतिनिधित्व करती है, जो दशकों से पहचान और अधिकारों के संकट से जूझ रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत सरकार इस मुद्दे को वैश्विक स्तर पर उठाने के लिए कोई कदम उठाती है या नहीं।