मुंबई, 10 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत रुख को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने के लिए भेजा गया ऑल पार्टी डेलिगेशन अब अपने दौरे से लौट आया है। मंगलवार को इस प्रतिनिधिमंडल का आखिरी समूह भी दिल्ली पहुंच गया। इस डेलिगेशन का नेतृत्व कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने किया था, जो अमेरिका, पनामा, गुयाना, ब्राजील और कोलंबिया जैसे देशों की यात्रा पर गया था।
दिल्ली एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत में थरूर ने बताया कि इन सभी देशों में भारत का गर्मजोशी से स्वागत हुआ। उन्होंने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने संबंधित देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति और अन्य वरिष्ठ नेताओं से उच्चस्तरीय मुलाकातें कीं। थरूर ने कहा कि इन बैठकों के दौरान उन नेताओं को यह समझाने में सफलता मिली कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर जैसी सैन्य कार्रवाई क्यों की। शशि थरूर ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने राजनीतिक दलों की सीमाओं से ऊपर उठकर देश की एकता का संदेश देने के लिए सभी दलों के सांसदों को विदेश भेजने का निर्णय लिया था और उन्होंने इस जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा से निभाया। उन्होंने बताया कि सभी प्रतिनिधि खुश होकर देश लौटे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शाम की निर्धारित मुलाकात के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह कोई औपचारिक बैठक नहीं होगी बल्कि एक अनौपचारिक हाई टी का आयोजन होगा, जिसमें प्रधानमंत्री सभी डेलिगेशन से मुलाकात करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शाम 7 बजे अपने आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर सभी सातों डेलिगेशन से मुलाकात करेंगे। इस दौरान सभी समूह अपने-अपने विदेशी दौरे के अनुभव और वहां हुई बातचीत की जानकारी प्रधानमंत्री को देंगे। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सभी सदस्यों को इस बैठक की सूचना दे दी है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद केंद्र सरकार ने विभिन्न राजनीतिक दलों के 59 सांसदों को 33 देशों में भेजा था। इन्हें सात ऑल पार्टी डेलिगेशन में बांटा गया और उनके साथ आठ पूर्व राजनयिक भी थे। इस पूरी कवायद की शुरुआत 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद हुई, जिसमें 26 पर्यटकों की जान गई थी। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की, जिसमें सौ से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया गया।
इन सांसदों ने अपने विदेशी दौरे में दुनिया को पांच प्रमुख संदेश दिए। पहला, आतंकवाद पर भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति, जिसमें बताया गया कि ऑपरेशन सिंदूर केवल आतंकियों और उनके ढांचों को खत्म करने के लिए किया गया। दूसरा, पाकिस्तान के आतंकवाद को समर्थन देने की भूमिका के सबूत पेश किए गए, खासतौर पर पहलगाम हमले में ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ की संलिप्तता। तीसरा, भारत ने अपनी सैन्य कार्रवाई में भी जिम्मेदारी और संयम दिखाया, जिससे कोई निर्दोष पाकिस्तानी नागरिक हताहत न हो। चौथा, भारत ने अन्य देशों से आतंकवाद के खिलाफ खुलेआम सहयोग और समर्थन की अपील की और भारत-पाक के मुद्दे को आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के रूप में देखने की बात कही। पांचवां संदेश यह था कि भारत अब पाकिस्तान को लेकर अपनी नीति में बदलाव लाया है और भविष्य में खतरों को निष्क्रिय करने के लिए पहले से सक्रिय कदम उठाएगा।