रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा दोनों देशों के बीच मजबूत और ऐतिहासिक संबंधों को एक नई दिशा देने वाला साबित हुआ है। अपने दौरे के दूसरे दिन, 23 मार्च 2024 को, राष्ट्रपति पुतिन को सबसे पहले राष्ट्रपति भवन में 'गार्ड ऑफ ऑनर' प्रदान किया गया, जो भारत में उनका औपचारिक स्वागत था। इसके बाद, उन्होंने राजघाट जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
इन औपचारिकताओं के पश्चात, राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय वार्ता के लिए मुलाकात की। यह मुलाकात यूक्रेन युद्ध और वैश्विक भू-राजनीतिक उथल-पुथल के बीच हुई, जिससे इसकी महत्ता और बढ़ गई।
प्रधानमंत्री मोदी का शांति पर ज़ोर
बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के रुख को स्पष्ट करते हुए कहा, “मैंने हमेशा कहा है कि भारत न्यूट्रल नहीं है। हम शांति के हर प्रयासों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।”
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-रूस के गहरे और भरोसेमंद रिश्तों पर जोर दिया और कहा कि "विश्वास बहुत बड़ी ताकत है।" उन्होंने यह भी कहा कि वह समझते हैं कि "विश्व का कल्याण शांति के मार्ग से है।"
पीएम मोदी ने आशा व्यक्त की कि जल्द ही विश्व को अपनी चिंताओं से मुक्ति मिलेगी और बताया कि वह आज दिनभर अपने रूसी समकक्ष के साथ अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत चर्चा करेंगे। प्रधानमंत्री ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि भारत हमेशा शांति का पक्षधर रहा है और विश्वास जताया कि विश्व एक बार फिर शांति की दिशा में लौटेगा। प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान विश्व को शांति का संदेश देने की भारत की इच्छा और क्षमता को रेखांकित करता है।
पुतिन ने किया पीएम मोदी के रुख का समर्थन
मीडिया के सामने बोलते हुए, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत आने के आमंत्रण के लिए प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद किया। उन्होंने भी प्रधानमंत्री के शांति के आह्वान पर सहमति जताई और कहा कि शांतिपूर्ण समाधान की कोशिशें जारी हैं और रूस भी शांति का पक्षधर है।
राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि वह शांति के हर प्रयास के साथ हैं। भारत के रुख की पुष्टि करते हुए, उन्होंने बताया कि दोनों देश विश्व शांति के लिए एक साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं। यह साझा बयान विश्व शांति सुनिश्चित करने में भारत की बढ़ती हुई अहम भूमिका को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
संबंधों की अग्निपरीक्षा: मजबूरी या मजबूती?
यूक्रेन युद्ध के बाद यह पुतिन का भारत दौरा, दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण माना जा रहा है। भारत, रक्षा सौदों, सस्ते कच्चे तेल और कुछ महत्वपूर्ण तकनीकों के लिए पारंपरिक रूप से रूस पर निर्भर रहा है, लेकिन वह पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका की नाराजगी भी नहीं चाहता है।
दूसरी ओर, रूस पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए कड़े प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। ऐसे में, रूस के लिए भारत जैसा एक बड़ा और भरोसेमंद बाजार और रणनीतिक भागीदार अत्यंत आवश्यक है। इस दौरे से यह भी जाहिर होता है कि भारत, किसी एक देश (जैसे अमेरिका) के दबाव में आकर अपनी विदेश नीति तय नहीं करेगा, बल्कि अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए स्वतंत्र निर्णय लेगा। यह द्विपक्षीय शिखर वार्ता दोनों देशों के लिए अपनी साझेदारी की स्थिरता और वैश्विक मंच पर अपनी स्वायत्तता को दर्शाने का एक महत्वपूर्ण अवसर रही।