कर्नाटक के गडग जिले के बेतागेरी गाँव से एक मार्मिक मामला सामने आया है, जहाँ बुनियादी सुविधाओं की उपेक्षा से त्रस्त एक 8वीं कक्षा के छात्र साईराम ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपने गाँव की बदहाली बयां की है। साईराम ने गाँव की खस्ताहाल सड़कों, सीवर और पीने के पानी की गंभीर समस्याओं को लेकर नगर निगम की लापरवाही पर निराशा व्यक्त की है।
सालों से मूलभूत सुविधाओं का अभाव
बेतागेरी गाँव के निवासी पिछले 20 सालों से सड़कों, सीवर और पेयजल की कमी से जूझ रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि उन्होंने बार-बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों और नगर परिषद के अधिकारियों को इन समस्याओं से अवगत कराया है, लेकिन अधिकारियों ने उनकी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया।
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खराब सड़कें: बारिश के मौसम में गाँव की सड़कें कीचड़ से भर जाती हैं, जिससे ग्रामीणों का आना-जाना दूभर हो जाता है।
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सीवर समस्या: सीवर लाइन और जल निकासी की उचित व्यवस्था न होने के कारण स्थिति और भी गंभीर हो जाती है।
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पेयजल की कमी: गाँव में पीने का पानी भी समय पर नहीं आता है, जिससे निवासियों को दैनिक जीवन में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
'मैं अपने घर के साने भी नहीं खेल पा रहा हूँ'
सेंट जॉन्स स्कूल में कक्षा 8 में पढ़ने वाले छात्र साईराम ने इस अव्यवस्था से परेशान होकर प्रधानमंत्री को एक भावुक पत्र लिखा। अपने पत्र में उसने लिखा कि:
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"मेरे घर के सामने वाली सड़क की हालत बहुत खराब है। कई बार मैं कीचड़ में गिर चुका हूँ।"
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"मैं अपने घर के सामने भी नहीं खेल पा रहा हूँ।"
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"पीने का पानी समय पर नहीं आता है, जिससे हमें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।"
साईराम ने प्रधानमंत्री से सड़क और पेयजल व्यवस्था को तत्काल ठीक करने की गुहार लगाई है। खेलने की जगह न मिलने की अपनी व्यक्तिगत परेशानी के साथ-साथ, उसने पूरे गाँव की सामूहिक समस्याओं को भी इस पत्र में उजागर किया है।
गाँव वालों की उम्मीद
स्थानीय अधिकारियों की ओर से वर्षों तक अनदेखी झेलने के बाद, अब बेतागेरी गाँव के लोग एकमात्र उम्मीद के साथ साईराम के इस साहसिक कदम को देख रहे हैं। उन्हें आशा है कि एक छोटे से बच्चे की इस सीधी और सच्ची गुहार पर प्रधानमंत्री मोदी संज्ञान लेंगे और उनकी सालों से चली आ रही परेशानी का जल्द से जल्द समाधान करेंगे। साईराम का यह पत्र दर्शाता है कि जब स्थानीय व्यवस्था विफल हो जाती है, तो लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए देश के शीर्ष नेतृत्व की ओर देखते हैं।