ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई यानी ऑपरेशन सिंदूर को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूती से प्रस्तुत किया है। ओवैसी, बीजेपी सांसद बैजयंत जय पांडा के नेतृत्व में गठित भारत सरकार के विशेष विदेश प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे, जो हाल ही में चार इस्लामी देशों का दौरा कर भारत लौट आया है। ओवैसी की इस सक्रिय भूमिका पर हैदराबाद में बड़े-बड़े पोस्टर लगाए गए हैं, जिन पर लिखा गया है:
“एक आदमी आतंक के खिलाफ, एक सच पाकिस्तान के खिलाफ – अंदर के दुश्मन को बेनकाब करना, भारत के लिए, गर्व के साथ।”
4 देशों का सफल विदेश दौरा
इस प्रतिनिधिमंडल ने अल्जीरिया, सऊदी अरब, कुवैत और बहरीन का दौरा किया, जिसका उद्देश्य विश्व समुदाय को पहलगाम आतंकी हमले और इसके जवाब में भारतीय सेना द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देना था। यह मिशन भारत की कूटनीति का हिस्सा था ताकि वैश्विक स्तर पर आतंक के खिलाफ एक मजबूत संदेश भेजा जा सके।
इन देशों में प्रतिनिधिमंडल ने सरकारों, थिंक टैंक्स, धार्मिक नेताओं और मीडिया संस्थानों से मुलाकात की और भारत की भूमिका को स्पष्ट किया। ओवैसी ने इस दौरे में कट्टरपंथ और आतंकी नेटवर्क की निंदा करते हुए, पाकिस्तान के दोहरे रवैये को उजागर किया।
ओवैसी: आतंकवाद पर बेबाक बयान
अल्जीरिया में आयोजित एक सम्मेलन में ओवैसी ने जोर देकर कहा कि:
“इस्लाम हत्या की अनुमति नहीं देता है। पाकिस्तान के आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और अलकायदा के बीच कोई वैचारिक अंतर नहीं है। ये सब तकफीरी विचारधारा को फैलाते हैं, जिसका इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है।”
उन्होंने पाकिस्तान को आतंक के निर्यातक देश के रूप में प्रस्तुत करते हुए मांग की कि उसे एक बार फिर से FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) की ग्रे लिस्ट में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि भारत सिर्फ अपनी सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्व की शांति के लिए इस लड़ाई को लड़ रहा है।
FATF पर सख्त रुख
ओवैसी ने पाकिस्तान की दोहरी नीति को उजागर करते हुए कहा कि:
“पाकिस्तान की जेल में बंद आतंकी जकीउर रहमान लखवी वहाँ से बैठकर बाप बन गया, लेकिन जब उसे FATF की ग्रे लिस्ट में डाला गया, तभी उस पर मुकदमा आगे बढ़ा। इससे साफ है कि पाकिस्तान केवल अंतरराष्ट्रीय दबाव में ही कुछ कदम उठाता है, अन्यथा आतंकियों को संरक्षण देता है।”
उन्होंने कहा कि यह केवल भारत या दक्षिण एशिया का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह विश्व स्तर पर सुरक्षा और मानवता का सवाल है। यदि पाकिस्तान पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो वह एक बार फिर से कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा देकर नरसंहार की स्थितियां पैदा कर सकता है।
भारत की आवाज बनकर उभरे ओवैसी
ओवैसी ने न केवल विदेश में भारत के रुख को मजबूती दी, बल्कि यह भी दर्शाया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी पार्टी की नहीं, बल्कि पूरे देश की जिम्मेदारी है। उन्होंने धार्मिक आधार पर कट्टरता को खारिज करते हुए कहा कि:
“भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, हम जिम्मेदार राष्ट्र हैं। हमें आतंकवाद से लड़ने के लिए एकजुट होना होगा, न कि उसे धर्म के चश्मे से देखना चाहिए।”
हैदराबाद में मिला जनसमर्थन
ओवैसी की इस सख्त भूमिका के बाद हैदराबाद की सड़कों पर लगे पोस्टर इस बात का संकेत हैं कि जनता उनके रुख को सराह रही है। AIMIM जैसे दल के नेता का आतंक के विरुद्ध ऐसा स्टैंड राजनीतिक ध्रुवीकरण से अलग हटकर देखा जा रहा है।
निष्कर्ष: राष्ट्रीय एकता का प्रतीक
असदुद्दीन ओवैसी की यह विदेश यात्रा न केवल भारत की डिप्लोमैटिक स्ट्रैटेजी को मजबूत करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सभी विचारधाराओं, धर्मों और दलों को एक मंच पर आना चाहिए। उनका यह रुख भारत के राष्ट्रीय हितों और वैश्विक शांति के प्रति एक गंभीर प्रतिबद्धता का प्रतीक बन गया है।